सूचना: दूसरे ब्लॉगर, Youtube चैनल और फेसबुक पेज वाले, कृपया बिना अनुमति हमारी रचनाएँ चोरी ना करे। हम कॉपीराइट क्लेम कर सकते है
प्रस्तुत है राम प्रसाद बिस्मिल जी द्वारा रचित मातृभूमि को समर्पित ” हे मातृभूमि कविता हिंदी “
हे मातृभूमि कविता हिंदी
हे मातृभूमि ! तेरे चरणों में शिर नवाऊँ ।
मैं भक्ति भेंट अपनी, तेरी शरण में लाऊँ ।।
माथे पे तू हो चंदन, छाती पे तू हो माला ;
जिह्वा पे गीत तू हो मेरा, तेरा ही नाम गाऊँ ।।
जिससे सपूत उपजें, श्री राम-कृष्ण जैसे;
उस धूल को मैं तेरी निज शीश पे चढ़ाऊँ ।।
माई समुद्र जिसकी पद रज को नित्य धोकर;
करता प्रणाम तुझको, मैं वे चरण दबाऊँ ।।
सेवा में तेरी माता ! मैं भेदभाव तजकर;
वह पुण्य नाम तेरा, प्रतिदिन सुनूँ सुनाऊँ ।।
तेरे ही काम आऊँ, तेरा ही मंत्र गाऊँ।
मन और देह तुझ पर बलिदान मैं जाऊँ ।।
–राम प्रसाद बिस्मिल
पढ़िए और भी देशभक्ति रचनाएं :-
- कारगिल विजय दिवस पर कविता “हम कुर्बानी को याद करें”
- जलियांवाला बाग हत्याकांड की कहानी
- तिरंगे का महत्त्व बताते 7 दोहे
- भगत सिंह पर कविता “फांसी पर हंस कर झूला”
राम प्रसाद बिस्मिल जी की ” हे मातृभूमि कविता हिंदी ” की तरह ही यदि आप और भी कोई रकना पढ़ना चाहते हैं तो उस रचना का नाम कमेन्ट बॉक्स में लिखें।
हमारा यूट्यूब चैनल सब्सक्राइब करें :-
धन्यवाद।
1 comment
बहुत सुंदर कविता।