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Guru Purnima Ke Liye Kavita – वह प्रकाश जी हमें जीवन के अंधकार में हमें सही राह दिखाते हैं, बस वही गुरु कहलाते हैं। इसलिए हमें सदैव गुरु का सम्मान करना चाहिए। गुरुओं की महिमा तो कई महापुरुषों ने बताई है। ऐसी ही एक कोशिश इस कविता में भी की गयी है। तो आइये पढ़ते हैं गुरु के लिए कविता :-
गुरु के लिए कविता
Guru Purnima Ke Liye Kavita
निज संस्कृति में बसाते प्राणा,
देव तुल्य ईश्वर गुरु जाना।
अपने धर्म कर्म को जानो,
गुरु की कीमत को पहचानो।
चरणों में पड़ अमृत पालो,
दोषी कर्म पवित्र बना लो।
अवगुण भरा तन हुआ भारी,
गुरु ज्ञान सें बनो सुखारी।
गुरु ज्ञान ब्रह्म वाणी जानो,
मन क्रम वचन से तुम अपना लो।
जीवन अपना सफल बनाना,
गुरु नमन कर काज बढ़ाना।
मिट्टी का तन मिट्टी होना,
पहले से ना इस को खोना।
पर निंदा को मान ना देना ,
गुरु ज्ञान का अमृत लेना।
मौन मौन से मन को पढ़ते ,
गुरू ज्ञान को प्रेरित करते।
जन-जन में चेतन नव भरते,
गुरु दृष्ट ज्ञान की हैं रखते।
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रचनाकार का परिचय
नाम – साधना मिश्रा विंध्य
निवासी लखनऊ उत्तर प्रदेश
सम्प्रति – समाज सेविका, लेखिका ,कवयित्री
उपलब्धियां
विराट कवयित्री समिति की उपाध्यक्षा ।
प्रदीप अंतरराष्ट्रीय संस्था की सक्रिय सदस्यता।
मां विंध्यवासिनी ट्रस्ट की संस्थापिका संरक्षिका।
विश्व भारती हिंदी परिषद सम्मान 2020 से सम्मानित।
गोपालदास नीरज सम्मान 2020 से सम्मानित।
इंडिया हेल्पिंग हैंड अंतरराष्ट्रीय संस्था द्वारा 2021 में कोरोना योद्धा के रूप में सम्मानित।
जीवन का उद्देश्य भारतीय साहित्य, संस्कृति और सभ्यता का संवर्धन।
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धन्यवाद।