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ये ” गजल माँ के लिए ” हमें भेजी है छत्तीसगढ़ से अमित शर्मा जी ने। इनकी रचना ” माँ पर कविता इश्क़ु अंदाज में ” हम प्रकाशित कर चुके हैं। जिसमे उन्होंने कविता की एक नई किस्म ” इश्कु ” से हमको रूबरू करवाया। इस बार उन्होंने माँ पर हमें ये ग़ज़ल भेजी है। तो आइये पढ़ते हैं :- ” माँ पर गजल “
माँ पर गजल
माँजी, अम्मा, आई, माँ,
मेरी अपनी पुरवाई, माँ।
हृदय से जो नेह पिलाये,
वो कैसे हो हरजाई, माँ।
हँसाहँसा के पेट फूलादे,
खुद भले मुरझाई, माँ।
एकबरस में मौसम चार,
खुशियाँ बहार लाई, माँ।
माथ बिंदी हाथ में कंगन,
मांग सिंदूरी लगाई, माँ।
कान झुमके नाक नथनी,
नैनन काज़ल लगाई,माँ।
तीरथ सारे पुरे हो गये,
बाबूजी के पैर दबाई,माँ।
चौखट तक रही ज़िंदगी,
लांघ कभी न पाई, माँ।
एकएक जबसारे टूटगये,
रिश्ते नाते निभाई, माँ।
भूल न जाये बात कोई,
पल्लू में गाँठ लगाई,माँ।
मेरी भूख चार रोटी की,
बांधकर आठ लाई, माँ।
निवाला गर कम था तो,
सोकर भूख मिटाई, माँ।
खा’ले खा’ले बच्चे कहते,
मुँह में छाले बताई, माँ।
मुझे कान्हा कह पुकारे,
खुद रसभरी मिठाई,माँ।
भाई भतीजा देवर जेठ,
रूठा उसको मनाई, माँ।
तिल सा गम पर्वत हुआ,
रही राई की राई, माँ।
बाबूजी जब गुजर गये,
श्रृंगार हाथ न लगाई,माँ।
रोई रोई आधी हो गई पर,
दिली बात न बताई, माँ।
कहते’कहते चुप हो जाती,
पुरानी रीत की लुगाई, माँ।
फ़लक उसके पैरों तले,
किसी को ना रिसाई, माँ।
पसंद भले चार आने की,
रुपये की चीज़ दिलाई,माँ।
कौन है तुझसे सुंदर पूछा,
आईने से मुझे मिलाई, माँ।
पढ़िए अप्रतिम ब्लॉग की माँ पर ये सुंदर रचनाएं :-
- मातृ दिवस पर माँ को समर्पित गीत “मेरी भगवान है माँ”
- माँ की महिमा कविता :- न जाने कितने त्याग वो करती है
- न जाने कहाँ तू चली गयी माँ :- माँ की याद में मार्मिक कविता
लेखक अमित शर्मा के बारे में
अमित शर्मा उर्फ़ ” इश्क़शर्मा प्यार से” रायगढ़ छत्तीसगढ़ से हैं। पढाई की बात करें तो किसी कारणवश इन्हें अपनी इंजीनियरिंग की पढाई बीच में ही छोडनी पड़ी थी। फिलहाल ये एक गेराज में काम करते हैं और लिखने का शौक होने के कारण साथ में कवितायें, गजल और बहुत अच्छी शायरी लिखते हैं।
माँ पर इस गजल के बारे में अपने विचार हमें अवश्य बतायें।
धन्यवाद।