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गरीबी पर दोहे – गरीबी ऐसी चीज है जो इन्सान से कुछ भी करवा देती है। लेकिन ज्ञान हासिल कर हम इस से निजात पा सकते हैं। गरीबी सिर्फ धन-दौलत की कमी ही नहीं होती। गरीबी और भी कई तरह की होती है। ज्ञान का न होना भी गरीबी है। धन होते हुए भी सुख-चैन न होना गरीबी है। एक इंसान तभी पूरी तरह खुश रह सकता है जब उसे सही ज्ञान प्राप्त होता है और वो हर तरह की गरीबी से मुक्ति पा लेता है। इसी गरीबी पर आइये पढ़ते हैं ” गरीबी पर दोहे “
गरीबी पर दोहे
1.
बात ज्ञान की है कही, मानव तू मत भूल।
होती है अज्ञानता, निर्धनता का मूल।।
2.
समय भरोसे बैठता, रहता सदा गरीब।
बिना कर्म बदले नहीं, उसका कभी नसीब।।
3.
आलास कर रहता सदा, जो परिवर्तनहीन।
वही कर्म फिर-फिर करे, कहे स्वयं को दीन।।
4.
नहीं गरीबी से बड़ा, है कोई अभिशाप।
हासिल करके ज्ञान ही, करो दूर अब आप।।
5.
दोष समय को दो नहीं, नहीं बनो मजबूर।
कर्म साधना में जुटो, करो गरीबी दूर।।
6.
कर्म कभी करता नहीं, कोसे सदा नसीब।
भाग्य भरोसे बैठता, मानव रहे गरीब।।
7.
अज्ञानी पर ही सदा, करे गरीबी वार।
विजयी होता युद्ध में, ज्ञान सदा हथियार।।
8.
पैसों के बाजार में, बदल गयी तहज़ीब।
धन दौलत से जुड़ रहे, रिश्ते हुए गरीब।।
9.
पैसे चार मिल सकें, भरे पेट इंसान।
बाजारों में बिक रहे, इसीलिए भगवान।
10.
खुशियाँ मोल मिले नहीं, जिसको है आभास।
पास नहीं धन संपदा, फिर भी है उल्लास।।
11.
मानुस भूखा मर रहा, करे गरीबी चोट।
नेताओं की नज़र में, जनता है बस वोट।।
इस दोहा संग्रह का विडिओ देखें :-
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धन्यवाद।
2 comments
बहुत अच्छा
मानुस भूखा मर रहा, गरीबी करे चोट।
नेताओं की नज़र में, "दलित" हैं बस वोट।
दलित भी जनता का दूसरा नाम है। कृपया "दलित" शब्द पर दोहे लिखें ताकि कोई दुष्ट किसी गरीब के माथे "दलित" की मोहर लगा उसे अपनों से परे न कर पाए। धन्यवाद।