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नमस्कार मित्रो, हम आज लेकर आये है वो कहानी जिसका आप लम्बे समय से इन्तेजार कर रहे थे, हमारे ब्लॉग का हिट कहानी बंडलबाज गधा का अगला भाग। अगर आपने बंडलबाज गधा का पहला भाग नही पढ़े है तो अभी पढ़े बंडलबाज गधा की कहानी। और यहा आप आनंद लीजिये कहानी के दुसरे भाग गधे की बुद्धिमानी का। पढ़िए – गधे की बुद्धिमानी -एक अफ़लातून गधे की मजेदार कहानी | बंडलबाज गधा भाग-२
गधे की बुद्धिमानी ( बंडलबाज गधा – 2 )
पहले भाग से क्रमशः
जंगल के सभी जानवर अब संशय में पड़ गए कि किन 5 जानवरों को इंसानों की दुनिया में भेजा जाए। उनमें से आज तक एक भी जानवर इंसानों की दुनिया में नहीं गया था। गधे के जाने की बात किसी को पता नहीं थी और गधे के पास यही मौका था हिरनी के सामने अपनी बड़ाई करने का।
“मैं गया हूँ इंसानों की दुनिया में कुछ साल पहले। विश्व भ्रमण पर जाने से पहले मैंने कुछ दिन इंसानों के साथ बिताये थे। वहाँ मेरे चाचा एक धोबी के यहाँ काम करते थे…. (आप चाहें तो उनके बारे में यहाँ या फिर यहाँ पढ़ सकते है।)
“अबे फेंकूँ गधे हमें पता है तू कितना सच बोलता है। सारी दुनिया घूम के तुझे फिर से यही जंगल मिला। अगर इस जंगल के बाहर इतनी ही सुन्दर दुनिया थी तो रुक क्यों ना गया वहां, बात करता है…..” भालू ने गधे को सुनाते हुए कहा। ये सुन कर गधे की एक पल के लिए सिट्टी-पिट्टी गुम हो गयी। हिरणी के सामने अपनी बेइज्जती होते देख उसने मामला संभालने के लिए बोला, “अरे ओ आलसी भालू, तू खुद तो सारा दिन सोता रहता है। तुझे क्या पता कि दुनिया में क्या-क्या है? कभी जंगल के बाहर जाकर देखना…..”
“अरे रुको लड़ो मत। कुछ समझदारी वाली बात करो। सब जंगल वाले मिल कर सलाह करो और पांच जानवरों को शहर भेजो ताकि पता चल सके कि चुनाव की प्रक्रिया क्या है?” कहते हुए बूढ़े गिद्ध ने उनको चुप करवाया। सभी जंगल वासियों ने मिल कर सलाह की और पांच जानवरों की नियुक्ति की। जिनमें थे :- बंडलबाज गधा, कल्लू लोमड़ी, कलूटे कौए, हिरनी का अंगरक्षक एक बन्दर और बूढ़े गिद्ध, को इस काम के लिए चुना गया।
दूसरे दिन सभी का शहर जाना निश्चित किया गया। सभी अपने-अपने जुगाड़ में लग गए। “देख कल्लू शहर जाकर अपना ईमान मत बदल लेना। याद रखना तुझे मैंने ही पाला है। और उस गधे से ज्यादा जानकारी लेकर आना। अब बात मेरी इज्जत पर बन आई है।“
शेर ने कल्लू लोमड़ी को समझाते हुए कहा।
सब अपनी-अपनी परेशानी में थे। हिरणी को फ़िक्र थी तो अपने होने वाले वर की। गिद्ध चाहता था कि किसी के साथ कुछ गलत न हो जिस से किसी को ये लगे कि उसे कोई मौका नहीं मिला। अंगरक्षक बन्दर चाहते थे कि उनकी राजकुमारी को एक उत्तम वर मिले। कल्लू लोमड़ी के दिमाग में क्या चल रहा था इसके बारे में सिर्फ लोमड़ी को ही पता था।
वहीं बंडलबाज गधा इस मौके का भरपूर उपयोग करना चाहता था। पांचो जानवरों को सब ने बड़े उत्साह के साथ विदा किया। सब में शहर के बारे में जानने की उत्सुकता थी। सब यही चाहते थे कि वो जल्दी वापस आएं और जंगल वासियों को एक नए संसार व वहां के नियमों की जानकारी दें।
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पांचों शहर पहुंचे तो देखा की एक जगह बहुत बड़े मैदान में बहुत सारे लोग इकट्ठे हुए थे। इससे पहले वो कुछ समझ पाते। एक काली रंग की गाडी आई फिर एक और, फिर एक और, उसके बाद एक सफ़ेद गाडी। इसी तरह कई गाड़ियां और आई थीं। उसमे से एक आदमी सफ़ेद कपडे पहने हुए बाहर निकला। उसके बहार निकलते ही 5-6 आदमियों ने उसको घेर लिया।
जंगल से आये हुए जानवर इस सब में दिलचस्पी नहीं ले रहे थे। लेकिन गधा जानने के लिए उत्सुक था कि इतने लोग इस एक आदमी का इंतजार कर रहे हैं ऐसा क्या होने वाला है यहाँ। शाम को फिर उसी जगह मिलने का वादा कर सब अपने-अपने रस्ते हो लिए। गधा वहीं रहा।
शाम हुयी सब फिर मिले और दिन भर जो-जो देखा उसका वृत्तान्त एक दुसरे को सुनाया।स यह क्रम एक महीने तक चलता रहा। सब लोग शहर आते लेकिन गधा यह कहकर टाल देता कि उसे सब पता है। एक महीने बाद उन्होंने वापस जाने का फैसला लिया।
गधा अपने साथियों समेत शहर से वापस आ गया। हिरनी को इतने दिन तक पर्यटन विभाग के विशेष निवास स्थान में रहने का प्रबंध किया गया था। हिरनी को किसी प्रकार कि परेशानी न हो इसके लिए शेर सिंह ने बूढ़े बाज और आलसी भालू की नियुक्ति की थी। किसी को भी उनसे मिलने कि आज्ञा नहीं थी।
सिर्फ उसके अंगरक्षक बन्दर ही उसके पास आ सकते थे। ऐसा इसलिए हुआ था ताकि जब तक शहर गए हुए जानवर जंगल वापस न आयें तब तक कोई और जानवर हिरनी को अपने प्रेमजाल में ना फांस ले। कभी कभी हिरनी अपने कमरे की खिड़की से बाहर झाँक लिया करती थी। बस फिर क्या उसकी एक झलक पाने को खिड़की के बहार भी कुछ जानवर खड़े रहते थे। लम्बू जिराफ ने तो वहां पक्का डेरा जमा रखा था।
खैर, अब इंतजार का वक़्त ख़तम हुआ। जानवरों के वापस आने पर सारा जंगल ख़ुशी से झूम उठा। लेकिन कुछ जानवरों के दिल जोर-जोर से धड़कने लगे । वे उत्सुक थे जानने को कि ये सब शहर से कौन सा ऐसा नुक्ता लेकर आये होंगे जिससे राजकुमारी हिरनी को उनका वर मिल सके।
कल्लू लोमड़ी आते ही जाकर शेर सिंह से मिला।
“क्या बे कल्लू , इतनी जल्दी वापस आ गए?”
“अरे क्या बताऊँ महाराज, शहर में इत्ता प्रदुषण है कि अगर कुछ दिन और रहता तो शायद जिन्दा वापस ना आ पाता। और अगर बच भी जाता तो किसी न किसी गाड़ी के नीचे आ जाता। पागल हैं शहर के इन्सान सब।” शेर सिंह के पूछने पर कल्लू लोमड़ी ने जवाब दिया।
“काएं-काएं अरे भाई जिसको शादी करनी है जल्दी कर लेना मुझे तो शहर बहुत पसंद आया है। खाने के लिए कुछ भी ढूंढना नहीं पड़ता। किसी भी दुकान पर पड़े समान पर झपट्टा मारो और खा लो काएं-काएं”।
साथ ही वापस आये हुए कलूटे कौवे ने कहा।
“चलो आज हम बहुत थक गए हैं। आज आराम करते हैं कल सब मिल कर बात करेंगे।” बंडलबाज गधे ने नखरे दिखाते हुए कहा।
फिर सब अपने अपने घर चले गए। बंडलबाज गधा अपनी चालाकी से सुंदर हिरनी को मिलने जाना चाहता था लेकिन आलसी भालू और बूढ़े बाज के आगे उसकी एक ना चली।
रात हो चुकी थी और सभी इस उत्सुकता के कारण जाग रहे थे कि सुबह क्या होगा। कुछ जानवर तो टोलियाँ बनाकर इस बात पर बहस भी कर रहे थे। निश्चित तौर पर अगर जंगल में कोई न्यूज़ चैनल होता तो सिर्फ हिरनी कि ही खबर को ब्रेकिंग न्यूज़ में दिखाया जाता।
हिरनी ने बंदरों से पुछा,“कैसा रहा आज का दिन आज तो शहर गए हुए जानवर वापस आने वाले थे। क्या हुआ उनका?”
“राजकुमारी जी, सभी वापस आ गए हैं लेकिन क्या सीख कर आये हैं और क्या ढंग अपनाया जाएगा इस बारे में किसी को नहीं बताया लेकिन हाँ ये जरुर बताया कि शहर जानवरों के रहने के लायक नहीं है। वहां के इंसानों ने इमारतों के जंगल खड़े कर लिए हैं।”
“छोड़ो उनकी बातें करने से कोई लाभ नहीं है। सुना है वो बहुत स्वार्थी होते हैं। मेरे पिता जी को पकड़ कर ले गए थे। सुना है वहां उनको दिखाने के भी पैसे वसूले जाते हैं।”
“राजकुमारी जी सुना तो हमने भी है। हमारे भी कई दूर के रिश्तेदारों को पकड़ कर ले गए थे एक बार कुछ तो भाग आये थे वापस लेकिन कुछ बंदरों की सारी जिंदगी वहीं कट गयी पता नहीं वो कैसे होंगे, होंगे भी या नहीं भी?”
“छोड़ो अब ये बातें सुबह देखते हैं क्या होता है।” हिरनी कमरे के झरोखे से आसमान की तरफ देखने लगी। धीरे-धीरे रात और घनी होने लगी। सब अपने-अपने विचारों में खो चुके थे।
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सुबह हुयी सब जानवर ऊंची पहाड़ी के पास आ कर इकट्ठे हो गए। सब आपस में फुसफुसा रहे थे। तभी शेर के साथ सब जानवर वहां आ गए। चारों तरफ शांति पसर गयी। लेकिन ये क्या? गधा तो अभी तक आया ही नहीं था। थोड़ी देर इंतजार करने के बाद गधा झूमता हुआ आता दिखाई पड़ा। ऐसा लग रहा था जैसे उसके अन्दर कोई उत्सुकता ही नहीं है। कल भी उसने ही कहा था कि उसे थकावट हो रही है। जो गधा कल तक रानी के लिए बेचैन रहता था आज ऐसा लग रहा था जैसे उसे किसी की परवाह ही नहीं।
“ये गधा पगला-वागला तो नहीं गया। चल अतो ऐसे आ रहा है जैसे किसी की शादी में आया हो।”
शेर ने चिंता में पड़ते हुए कहा।
“पता नहीं महाराज, लगता तो ऐसा है जैसे कोई सदमा लग गया हो।”
कल्लू लोमड़ी ने जवाब देते हुए कहा।
“क्या चल रहा है भाई लोग?”
गधे के इस बोलने के अंदाज को देख कर सब लोग हैरान थे। लेकिन गधे को कोई हैरानी नहीं थी। ऐसा लग रहा था मानो उस समय का मुख्यातिथि वही हो।
“आज फैसले का दिन है। और आज राजकुमारी हिरनी को उनका वर मिलेगा। वर के चुनाव के लिए आप जो प्रक्रिया शहर में देख कर आये हैं वह बताइए। जिस से हम जल्द से जल्द राजकुमारी हिरनी जी के लिए सुयोग्य वर खोज सकें।” शेर ने ऊंची आवाज में कहा जिससे सब सुन लें। एक बार फिर से चारों और सन्नाटा पसर गया।
अब कलूटे कौवे ने कहा, “काएं-काएं…… मैंने जो शहर में देख है उस से मेरा सुझाव तो यह है कि जो इंसान बलवान हो। उसी को चुनना चाहिए। काएं-काएं इससे वह सबकी रक्षा कर सकता है। और मेरे अनुसार इस सूची में हाथी, शेर, चीता आदि आते हैं।”
ये सुन तो हाथी और चीता बहुत खुश हुए लेकिन शेर कुछ ज्यादा ही खुश हुआ क्योंकि वह राजा था।
अगली बारी थी कल्लू लोमड़ी की। तो वो भी हो गया शुरू, “अ…. बात ऐसी है कि……शहर में चुनाव होते हैं। जिसमे सब लोग अपनी पसंद के आदमी को वोट देते हैं और जिस आदमी को ज्यादा वोट मिलता है ऊ जीत जाता है।”
ये सुन तो शेर और भी खुश हो गया। कलूटे कौवे के बाद कल्लू लोमड़ी ने भी ऐसी बात कह दी कि शेर का पलड़ा भारी होता नजर आया।
अब हिरनी का अंगरक्षक बन्दर भी बोला, “परीक्षा लेकर चुनाव करना ज्यादा उत्तम रहता है। इसलिए हमें जंगल में सबकी परीक्षा लेनी चाहिए और जो सबसे अछे अंक प्राप्त करेगा उसे ही हमारी राजकुमारी हिरनी से विवाह करने का अधिकार मिलेगा।”
इस बात से तो सभी जंगलवासी हैरान परेशान हो गए। अब भला जंगल में पढ़े-लिखे लोग कहाँ हैं। न कोई स्कूल है न कोई पढ़ने वाला। सबको ये विचार बहुत ही बेतुका लगा। लेकिन गधा……. वो तो अभी भी बिना किसी चिंता के मंद-मंद मुस्कुरा रहा था। शेर ने अजब गधे की तरफ देखा तो उसे लगा कि सचमुच गधे का मानसिक संतुलन बिगड़ चुका है। इतना सब कुछ हो रहा है और वह चुपचाप मुस्कुरा रहा है।
“जहाँ तक मेरी दूरदृष्टि काम करती है। उससे मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूँ कि एक सीधा-सादा जानवर ही राजकुमारी के लिए बेहतर वर है। ये उसके सम्मान और प्रतिष्ठा का सवाल होता है। जिसे एक साधारण इन्सान अच्छी तरह से बना कर रख सकता है।”
“गिद्ध्वा बौरा गया है। उम्र के साथ-साथ इसका दिमाग भी बूढा हो गया है।”
गिद्ध के बात ख़तम करते ही जानवरों की भीड़ से कोई बोला।
गधा अपनी ही मस्ती में गुम था।
“अरे ओ गधे…..तू भी बोल ले कुछ।”
शेर ने गधे का ध्यान भंग करते हुए कहा।
“अच्छा…. मेरी बारी आ गयी क्या? राजकुमारी जी इन जानवरों ने जो बताया आप ने तो सब सुन ही लिया। लेकिन इन्होने वो चीजें नहीं बतायीं जो मैं आपको बताने जा रहा हूँ।
बात रही बहादुरी की तो ये बहादुर लोग गरीब जानवरों को अपना भोजन बना डालते हैं। वोट की बात में मैं ये कहना चाहूँगा कि वर तो आपके लिए आपको ही चुनना चाहिए। इन जानवरों की पसंद से आपका क्या भला होगा? सबकी अपनी-अपनी राय होगी जो आपके लिए गलत भी हो सकती है। और इस जंगल में आपको पढ़ा-लिखा कहाँ से मिलेगा? अब बात रह गयी गिद्ध जी की तो वो बात बिलकुल सही है। इस जंगल में मैं ही सीधा-सादा हूँ। और अपना भोजन भी एक सा है। आगे आप विचार कर लीजिये।”
जैसे ही गधे ने बात ख़तम की तो उसने पाया कि सब लोग उसकी तरफ ही देख रहें हैं। वातवरण एक दम शांत था। जानवरों के दिल की धड़कन साफ़ सुनाई पड़ रही थी। हिरनी चलती हुयी गधे के पास आई और बोली,
“मुझे तुम जैसे ही समझदार जानवर जीवनसाथी की ही तलाश थी। मैं इस गधे से ही विवाह करुँगी।”
इतना सुनते ही जंगल के सभी जानवर ख़ुशी के मरे उछल पड़े। गधे की बुद्धिमानी चल गयी, ऐसा लग रहा था मानो जंगल का राजा शेर नहीं गधा ही हो। आज कल्लू लोमड़ी की भी कोई चलाकी न चली। उधर विवाह तय हुआ और इधर जंगल के जानवरों ने गधे की समझदारी देख उसे राजा बना दिया।
इस तरह बंडलबाज गधे की किस्मत खुल गयी। लेकिन ये बात बाद में पता चली कि गधे में इतनी समझदारी आई कहाँ से इस बात से सब हैरान थे। भविष्य में चल कर ये बात सबके सामने आई कि गधे ने नेता लोगों द्वारा अपनाई जाने वाली तरकीब अपनाई। उसने सबकी कमजोरी गिना दी जोकि किसी न किसी में होती है। लेकिन उनमे गुण और भी ज्यादा थे। यही राजनीती अपना के बंडलबाज गधा राजा बन गया।
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तो दोस्तों ये थी बंडलबाज गधे की बुद्धिमानी की कहानी। आपके ये कहानी कैसी लगी हमें जरुर बताये और शेयर करे ताकि हम ऐसे मजेदार कहानियाँ आप तक लेके आते रहे।
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धन्यवाद।
12 comments
Supar story bhai
Thanks Suraj sukhdeve bro….
Super
Thanks Prince……
It's so nice of you to reflect the very basic flaw (in such appealing and intresting manner) of many bureaucrats who keep on just critizing others instead of promoting social,culural and political developmental agendas. It is a major challenge which aims to hamper our integrity. We need to overcome it together by eliminating our ideology of taking things for granted. Our social ethics and occurences reflect our own mentality.
Right said Navin Kumar ji… In india we never see the facts… we just see the things which others show us….. We don't use our mind…. that's why our system is so corrupted….If we blame someone istead of replying he gives other example….So thats what we tried to figure out here… Thanks for appreciation… Keep reading other articles…. Thanks you very much,…
Nice
Thanks Navin Kumar Mishra ji…..
Wow
Thanks Murlidhar ji…….I hope you enjoyed it….
बेहतरीन पोस्ट। … Thanks for sharing this!! :) :)
धन्यवाद HindIndia जी………