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एक बूँद इश्क – इश्क पर कविता | Ek Boond Ishq Poem In Hindi

by Sandeep Kumar Singh
1 minutes read

एक बूँद इश्क - इश्क पर कविता | Ek Boond Ishq Poem In Hindi

एक बूँद इश्क – द  लास्ट विश

एक बूँद इश्क़ पिला दे मुझे
मैं मरने से पहले एक बार जीना चाहता हूँ,
सुना है जहर से ज्यादा खतरनाक है
फिर भी जहाँ की सारी चीजों से ज्यादा पाक है,

ज़माने भर के जाम पी लिए हैं मैंने
तो पता चला कि इसमें नशा सबसे ज्यादा हैं

बहकना है मुझको इसके नशे में
इसलिए इसे भी एक बार पीना चाहता हूँ

एक बूँद इश्क पिला दे मुझे
मैं मरने से पहले एक बार जीना चाहता हूँ।

इसके नशे में एक अलग ही दुनिया का अहसास होता है
जिसको लग जाती है लत इसकी

जागता है रातों को फिर वो कहाँ सोता है,
उठा कर पढ़ लो किताबें ज़माने भर की ये अंदाज है इसका
जिसने भी पिया वो बुरी तरह बर्बाद हुआ है,
रहा नहीं जाता किस्से सुन कर इसके कारनामों के,
पीकर इसे मैं भी बर्बाद होना चाहता हूँ,

एक बूँद इश्क पिला दे मुझे
मैं मरने से पहले एक बार जीना चाहता हूँ।

न दुकानों पर मिलता है न मयखानों पर मिलता है,
बहुत ढूँढा मैंने 
पाया कि ये सिर्फ अरमानों पर मिलता है,
चैन खो गया है इसकी चाहत में बेचैनी सी छायी है,
सुकून चाहता हूँ मुझे इसकी आगोश में खोना चाहता हूँ,
एक बूँद इश्क पिला दे मुझे
मैं मरने से पहले एक बार जीना चाहता हूँ।

हिंदी कविता – मैं सजदे रोज करता हूँ, पूरे नहीं होते

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धन्यवाद

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5 comments

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Mr. Harshit Verma फ़रवरी 14, 2021 - 10:11 पूर्वाह्न

Kya baat hai ji

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Mithilesh Kumar अप्रैल 1, 2019 - 12:35 अपराह्न

बहुत ही सुंदर लाइन है आपकी बहुत अच्छी बातें आपने कही है धन्यवाद

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अप्रैल 2, 2019 - 1:19 पूर्वाह्न

धन्यवाद मिथिलेश कुमार जी।

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Nikhil Jain अक्टूबर 6, 2016 - 2:12 अपराह्न

बहुत खूब।

इश्क़ में न जाने क्या बात है, सारी दुनिया भुलवा देता है।
इश्क़ में न जाने क्या गुरूर है, इंसान को खुदा बना देता है।।

इश्क़ में न जाने कैसी नजाकत है, इसके सामने कुछ और नजर ही न आता है।
इश्क़ का न जाने क्या दस्तूर है, खुद को ही भुलवा देता है।

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Mr. Genius
Mr. Genius अक्टूबर 6, 2016 - 2:59 अपराह्न

वाह निखिल जैन जी….क्या खूब लिखा है।
धन्यवाद।

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