एक बूँद इश्क – द लास्ट विश
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एक बूँद इश्क़ पिला दे मुझे
मैं मरने से पहले एक बार जीना चाहता हूँ,
सुना है जहर से ज्यादा खतरनाक है
फिर भी जहाँ की सारी चीजों से ज्यादा पाक है,
ज़माने भर के जाम पी लिए हैं मैंने
तो पता चला कि इसमें नशा सबसे ज्यादा हैं
बहकना है मुझको इसके नशे में
इसलिए इसे भी एक बार पीना चाहता हूँ
एक बूँद इश्क पिला दे मुझे
मैं मरने से पहले एक बार जीना चाहता हूँ।
इसके नशे में एक अलग ही दुनिया का अहसास होता है
जिसको लग जाती है लत इसकी
जागता है रातों को फिर वो कहाँ सोता है,
उठा कर पढ़ लो किताबें ज़माने भर की ये अंदाज है इसका
जिसने भी पिया वो बुरी तरह बर्बाद हुआ है,
रहा नहीं जाता किस्से सुन कर इसके कारनामों के,
पीकर इसे मैं भी बर्बाद होना चाहता हूँ,
एक बूँद इश्क पिला दे मुझे
मैं मरने से पहले एक बार जीना चाहता हूँ।
न दुकानों पर मिलता है न मयखानों पर मिलता है,
बहुत ढूँढा मैंने पाया कि ये सिर्फ अरमानों पर मिलता है,
चैन खो गया है इसकी चाहत में बेचैनी सी छायी है,
सुकून चाहता हूँ मुझे इसकी आगोश में खोना चाहता हूँ,
एक बूँद इश्क पिला दे मुझे
मैं मरने से पहले एक बार जीना चाहता हूँ।
⇒हिंदी कविता – मैं सजदे रोज करता हूँ, पूरे नहीं होते⇐
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धन्यवाद।
5 comments
Kya baat hai ji
बहुत ही सुंदर लाइन है आपकी बहुत अच्छी बातें आपने कही है धन्यवाद
धन्यवाद मिथिलेश कुमार जी।
बहुत खूब।
इश्क़ में न जाने क्या बात है, सारी दुनिया भुलवा देता है।
इश्क़ में न जाने क्या गुरूर है, इंसान को खुदा बना देता है।।
इश्क़ में न जाने कैसी नजाकत है, इसके सामने कुछ और नजर ही न आता है।
इश्क़ का न जाने क्या दस्तूर है, खुद को ही भुलवा देता है।
वाह निखिल जैन जी….क्या खूब लिखा है।
धन्यवाद।