डॉक्टर भीमराव अंबेडकर पर कविता
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बाबा साहब भीमराव थे
नव भारत के युग निर्माता,
दलितों को अधिकार दिलाकर
हुए दीन – दुखियों के त्राता।
पिछड़े लोगों के विकास हित
लड़ते ही वे रहे निरन्तर,
ऊँच-नीच के भाव खत्म हो
यही प्रयास रहा जीवन भर।
दलित जाति में पैदा होकर
सहे बहुत अपमान उन्होंने,
वर्ग – भेद की सोच लगी थी
जीवन – पथ में काँटे बोने।
कक्षा में वे अलग बैठते
वर्जित था छूना जल-बर्तन,
बचपन में देखा नफरत का
चारों ओर घिनौना नर्तन।
हार नहीं पर उनने मानी
रखी पढ़ाई अपनी जारी,
उनके दृढ़ निश्चय के आगे
बाधाएँ आ-आकर हारी।
वहीं बड़ौदा के राजा ने
प्रतिभा को उनकी पहचाना,
हुआ इसी से सम्भव उनका
जा विदेश में शिक्षा पाना।
वे पारंगत अर्थशास्त्र के
कानूनों के अच्छे ज्ञाता,
शिक्षा समाज राजनीति से
रहा उम्र भर गहरा नाता।
देश – रत्न बाबा साहब ने
किए सुधार बहुत सामाजिक,
अपनाया था बौद्ध धर्म को
किया काम यह बड़ा साहसिक।
संविधान में शोषित जन हित
आरक्षण का प्रावधान कर,
बाबा साहब ने चाहा था
हो छुआछूत की खत्म लहर।
भारत के समुचित विकास के
बाबा साहब थे उन्नायक,
राष्ट्र – एक्य के साथ व्यक्ति की
गरिमा के थे सच्चे गायक।
सामाजिक समरसता लाने
किया समर्पित जिनने जीवन,
ऐसे बाबा साहब को है
आज हमारा शत – शत वन्दन।
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धन्यवाद।