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एक दोस्त की कमी का अहसास उसके हमसे दूर जाने के बाद ही होता है। यूँ तो हर रिश्ते में एक अलग ही बात होती है। लेकिन दोस्ती ही वो रिश्ता होता है जिसमे हमें हर रिश्ते का अहसास होता है। ऐसे में यदि वही दोस्त हमारी जिंदगी से दूर चला जाए तो जिंदगी कैसी हो जाएगी? इसी बात को शब्दों में उतारने का एक छोटा सा प्रयास किया है। आशा करता हूँ आपको पसंद आएगी। आइये पढ़ते हैं दोस्त की याद में कविता :-
दोस्त की याद में कविता
ए दोस्त तू जबसे जुदा हुआ
मेरी खातिर तू खुदा हुआ
यादें तेरी धड़के दिल में
जो न पूरी हो वो दुआ हुआ
ए दोस्त तू जबसे जुदा हुआ
मेरी खातिर तू खुदा हुआ।
तेरे क़दमों के संग हम भी
अपने कदम मिलाते थे
भर कर खुशियों के जाम
एक-दूजे को हम पिलाते थे,
ऐसा दर्द उठा है मन में
जिसकी अब तू है दवा हुआ
ए दोस्त तू जबसे जुदा हुआ
मेरी खातिर तू खुदा हुआ।
अब तक संभाले रखे हैं
बचपन के सभी खिलौने
देख के उनको लगती हैं
ये आँखें मुझे भिगोने,
जाने किसकी नजर लगी
क्यों हुयी खिलाफ हवा
ए दोस्त तू जबसे जुदा हुआ
मेरी खातिर तू खुदा हुआ।
जीवन ठहरा सा लगता है
हर ओर है रहता सन्नाटा
जहाँ में रहे ख्याल तेरा
कुछ और समझ में न आता ,
कानों में अब तक गूंजता है
हर बोल था जो तेरा सुना
ए दोस्त तू जबसे जुदा हुआ
मेरी खातिर तू खुदा हुआ।
सांस चल रही, रूह मर गयी
हम भी मरकर जिन्दा हैं
बिन पर के हम इस धरती पर
जैसे एक परिंदा हैं,
पाकर फिर हम जी जाएँ
तू ऐसी है अब सुधा हुआ
ए दोस्त तू जबसे जुदा हुआ
मेरी खातिर तू खुदा हुआ।
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