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दीपावली के पावन त्यौहार पर बच्चों के लिए दिवाली पर बाल कविता :-
दिवाली पर बाल कविता
शाम हो गयी काली-काली
अमावस की आयी रात निराली
लड़ियाँ घरों की शोभा बढ़ाती
दिये जला घर आती उजियाली,
लक्ष्मी माँ का स्वागत करने को
गाते भजन सजा आरती की थाली
शाम हो गयी काली काली
देखो आ गयी है दिवाली।
नाना-नानी साथ में आये
जीजू संग दीदी भी आयी
उनके आने से घर में देखो
इक प्यारी खुशहाली छायी,
देख हुआ खुश मन मेरा
हाथ में थैली बतासों वाली
शाम हो गयी काली काली
देखो आ गयी है दिवाली।
बाज़ार जाकर खरीदे हमने
बिच्छू, फूलझड़ी और अनार
मुर्गा छाप पटाखे ले लिए
जिनसे बढ़ी खुशियां अपार,
सांप सीढ़ी, हाथी बम जो खरीदे
पापा की जेबें कर दी खाली
शाम हो गयी काली काली
देखो आ गयी है दिवाली।
गोलू, मोलू और शिवम
लगे फोड़ने मिलकर बम
हरीश के साथ में बोली डॉली,
अब नहीं रहेंगे पीछे हम
धूम धड़ाम पटाखे फोड़कर
हम भी मनाएंगे दीवाली
शाम हो गयी काली काली
देखो आ गयी है दिवाली।
रख के बोतल, राकेट उड़ा के
आसमान में सतरंगी फूल बनाये
नाना-नानी और दीदी संग
भांति-भांति के पकवान खाये,
ख़ुशी-ख़ुशी और मस्ती के संग
चाल चलेंगे हम मतवाली
शाम हो गयी काली काली
देखो आ गयी है दिवाली।
जयश्री राम के जैकारे संग
अपनी आवाज बुलंद करेंगे
अपनी भक्ति से हम फिर
आवाज पटाखों की मंद करेंगे,
नींद नहीं अब आने वाली
ऐसी हुयी है फिजा निराली
शाम हो गयी काली काली
देखो आ गयी है दिवाली।
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मेरा नाम हरीश चमोली है और मैं उत्तराखंड के टेहरी गढ़वाल जिले का रहें वाला एक छोटा सा कवि ह्रदयी व्यक्ति हूँ। बचपन से ही मुझे लिखने का शौक है और मैं अपनी सकारात्मक सोच से देश, समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जीवन के किसी पड़ाव पर कभी किसी मंच पर बोलने का मौका मिले तो ये मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी।
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