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मतलबी दुनिया में सब लोग भी मतलबी हैं। अपना मतलब निकाल लेने के बाद इन्सान को तनहा छोड़ देना ही इस ज़माने का दस्स्तूर है। ऐसे ही भावों को शब्दों में पिरो कर कविता के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं “हर्षद कालिदास मोलिश्री” जी आज के हालात पर कविता में :-
आज के हालात पर कविता
बेगानों की क्या बात करें
लोग अपनो को भुला देते है,
वक़्त के साथ साथ ये
हर हसीन लम्हा जला देते है….
हसने रोने की यादों को मिटा देते है….
साथ चलते थे उस राह को भुला देते है….
कौन अपना है यहां कौन बेगाना है,
ये वक़्त खूब बता देता है…
रिश्तों की दुनिया को
बड़ी खूबसूरती से सजा देता है….
लोग रुलाते हैं उसे ही…
जिसने कभी किसी को हंसाया था…
छोड़ जाते हैं उसके दामन में गम,
जिसने कभी प्यार से सुलाया था….
कोई यहां अपना था जो आज बेगाना बन चला है….
कोई यहां अपना था जो आज सपना बन चला है….
कोई यहां अपना था जो आंखों मैं आंसू दे चला है….
बेवफा इस दुनिया में हर आंसू पी लेते हैं….
वही हैं ये आशिक़ जो गम मैं भी जी लेते है….
प्यार की हर उम्मीद को मिटा देते हैं लोग…
रात ढलने की देर है मेरे शहर में
सुबह होते ही दीया भी लोग बुझा देते है लोग…
मेरा नाम हर्षद कालिदास मोलिश्री है और मे मुंबई का रहने वाला हूँ। शायरी लिखना शुरू करने के बाद धीरे धीरे साहित्य की ओर मेरी रुचि बढ़ने लगी और फिर कहानियां कविता उपन्यास पढ़ते-पढ़ते मैंने भी लिखना शुरू किया, और अब मै शायरी, कविता एवं कहानियां लिखता हूँ, अपने लेखन से समाज के लिए कुछ कर सकूँ और अपनी कलम की ताकत से कोई बदलाव ला सकूँ यही मेरे जीवन का उद्देश्य है।
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धन्यवाद।