इस दशहरा मत कीजिये रावण दहन
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शायद कुछ लोग इस लेख के शीर्षक को पढ़ के हो सकता है थोड़े चक्कर में आ गए होंगे। सोच रहे होंगे की कैसा बावला हो गया है पट्ठा, रावण कितना अत्याचारी शासक था। इसलिए तो भगवान राम ने उसे मारा था। जिसकी याद में आज भी रावण दहन किया जाता है। और ये है की पुतला दहन करने को मना कर रहा है।
लेकिन क्या आपको पता है, की रावण दहन क्यों किया जाता है? लोग ये कहेंगे की भगवान राम ने इसी दिन दुष्ट रावण का वध किया था इसीलिए। चलो येतो सही है लेकिन एक रावण था, उसे राम ने मार दिया उसकी कहानी तो ख़तम, फिर उसका पुतला बना के हर साल उसे मारने जलाने का क्या कारन हो सकता है?
अधिकतर लोगो को तो ये पता ही नही होगा, की रावण मारने से पहले भगवान राम के जीवन का मंचन “राम लीला” के माध्यम से किया जाता है। और उसी के अंत में रावण दहन किया जाता है। हमारे गाँव में पहले ऐसा होता था। अब भी होता है लेकिन पहले जैसी बात नही अब। दशहरा से कुछ दिन पहले ही राम लीला का आरम्भ हो जाता था। रोज रात को पुरे गाँव के लोग राम लीला देखने जाते थे।
तुलसीदास जी ने जब अकबर के समय में राम लीला का चलन शुरू किया था, उस समय ना टीवी थे ना ही इन्टरनेट। और इसलिए भगवान राम के जीवन चरित्र को लोगो तक पहुचाने के लिए राम लीला का आयोजन किया गया। ताकि लोग उनके चरित्र से सीख लेके अपने जीवन में उतारे। फिर अंत में रावण का दहन करके ये दिखाया जाता था की बुराइयों का अंत क्या होता है इसलिए हमें अपने अन्दर के बुराइयों को ख़त्म कर देना है।
आज टीवी और इन्टनेट में हर कोई रामायण देख के बैठा है। अबतो टीवी में ऐसे-ऐसे धार्मिक कार्यक्रम आ रहे है की पूछो मत। आज के लोग इतने शिक्षित और समझदार हो गये है की सबको पता है बुराई और अच्छाई क्या होता है। फिर भी दुनिया में बुराइयाँ बढती ही जा रही है। जो सन्देश देने के लिए ये प्रथा शुरू किया गया था, वो संदेश तो आज कोई लेना ही नही चाहता। तो फिर हर साल रावण दहन करने से क्या फायदा है?
सच बात तो ये है, की रावण से ज्यादा बुरे इन्सान इस दुनिया में है। बहुत से लोग इस दुनिया में इतने बुरे है की रावण भी उसके सामने देवता लगने लगे। फिर ऐसे बुरे लोग बुराई के नाम पे रावण दहन करे तो ये तो रावण का अपमान ही है। साथ ही अच्छाई का भी। अगर प्रकृति ने ये नियम बनाया होता की जो इन्सान राम के जैसा ना सही उसके आप पास भी अच्छा इन्सान हो सिर्फ वही रावण का दहन कर सकेगा तो मै कहता हूँ की आज कही भी एक भी रावण का दहन नही हो सकेगा।
कहा जाता है की रावण बुराई का प्रतीक है और रावण दहन का मतलब होता है अपने अन्दर के बुराई को जलाना। हर साल रावण दहन होता है, कितने लोगो की बुराइयां ख़तम होती है इससे? ऐसा नही है की हर इन्सान बुरा है, जो अच्छे है उन्होंने तो अपने अन्दर के रावण को कब का मार दिया है। कहने का तात्पर्य की वो लोग खुद को बुराइयों से दूर रखे हुए है। इन लोगो को रावण दहन करने की जरुरत ही नहीं है।
दूसरे और अधिकतर इन्सान जिनके अन्दर कुछ ना कुछ बुराई है वो उन्हें छोड़ना नही चाहते, चाहे उन्हें ही क्यों ना दहन कर दिया जाये। और कुछ लोग तो इतने बुरे है की अगर वो लोग अच्छे बनने के लिए अपनी बुराइया एक-एक करके छोड़ने लगे तो एक स्थिति में वो रावण जितने बुरे बनेंगे।
इसलिए मै ये कहता हूँ की, रावण का दहन कीजिये पर पहले रावण जैसे तो बन लीजिये। अधिकतर लोग जो रावण से भी कही अधिक धूर्त और पापी है। पहले उन्हें अपने बुराइयां कम करना होगा। रावण भी बहुत बड़ा पुण्यात्मा था अगर आज के इंसानों से तुलना की जाये तो। रावण और आज के इंसानों की तुलना कुछ इस प्रकार किया जा सकता है;
- रावण की लंका सोने की थी, मतलब बहुत ही समृद्ध, खुशहाल और सबसे बड़ी बात, “साफ़ सुथरा”। हमारे देश की हालात क्या रावण के लंका जितना खुशहाल, समृद्ध और साफ़ सुथरा है?
- रावण पराक्रमी था, निडर, रिस्क लेने वाला, क्या आज के लोग ऐसे है? अधिकतर लोग नही है।
- रावण ने अपनी बहन के अपमान का बदला लेने के लिए अपने प्राण लुटा दिया। आज कोई ऐसा करेगा?
- रावण ने एक स्त्री का हरण जरुर किया था लेकिन उसकी आज्ञा के बिना उसे छुआ तक नही। और आज रोज हो रहे बलात्कार के बारे में तो हर कोई जनता है।
- रावण के राज्य में भ्रष्टाचार, अपराध आदि नही थे। आज की हालात तो सबको पता है।
इसके अतिरिक्त और गहराई में जाके तुलना करेंगे तो पता चलेगा की रावण आज के इन्सान से कितना अच्छा था। आज का इन्सान उनके सामने खड़े होने के भी लायक नही है। लेकिन सेखी अच्छाई की बघारते है। और बुरे के नाम पे रावण दहन करते है। लेकिन होना ये चाहिए की रावण इन्सान का पुतला दहन करे या फिर इंसानों को बुराई के नाम पे अपना गुरु मान ले।
मै इस लेख के माध्यम से यही कहना चाहता हूँ। आप अपने अन्दर झांक के देखिये, क्या आपको वो इन्सान नजर आया जो सही मायनो में रावण को मारने के काबिल है? अगर हां, तो आप बिलकुल रावण दहन कर सकते है, लेकिन अगर नही तो इस दशहरा रावण दहन मत कीजिये।
पढ़िए :- रावण के परिवार की संपूर्ण जानकारी
बुराइयों को ख़तम करके अच्छाइयों की ओर बढ़ने की शुभकामनाओ के साथ हमारे अप्रतिमब्लॉग परिवार के प्रत्येक पाठक सदस्यों को दशहरा की बधाईयाँ।
धन्यवाद।