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हिन्दी शायरी दर्द ए दिल | दर्द ए दिल शायरी By संदीप कुमार सिंह

by Sandeep Kumar Singh
3 minutes read

हर एक की जिंदगी में कोई न कोई दर्द होता है। देर्द के बारे में पढने से दर्द कम तो नहीं होता लेकिन एक राहत सी जरुर मिलती है। कहते हैं यदि भावनाओं को शब्दों का रूप दे दिया जाए तो हम बात कह भी देते हैं और किसी को पता भी नहीं चलता। लेकिन उस बात को दिल में रखने की बजाये हमे किसी अपने से कह देना चाहिए या फिर उन्हें शब्दों का रूप देकर कागजों पर उतार देना चाहिए। ऐसे ही एक दर्द को शायरी के रूप में पेश करता ये ‘ हिन्दी शायरी दर्द ए दिल ‘ शायरी संग्रह हमने तैयार किया है। आशा करते हैं आप को जरूर पसंद आएगा।

हिन्दी शायरी दर्द ए दिल

हिन्दी शायरी दर्द ए दिल | दर्द ए दिल शायरी By संदीप कुमार सिंह

1.
दर्द दिलों में होठों पे
मुस्कान लिए घूमते हैं,
बेदर्द जमाना ये समझता है
कि हम ख़ुशी में झूमते हैं।


2.
देख तेरी बेवफाई ने देख
क्या हाल कर दिया,
दर्द मिलते रहे जिंदगी में और
हमने खुश रह कर कमाल कर दिया।


3.
ये ओ अनजाने से हसीन चेहरे हैं
इनके पीछे राज कई गहरे हैं,
यूँ तो ये हर पल मुस्कुराते रहते हैं
मगर हर पल ये एक खामोश दर्द सहते हैं।


4.
वो चाहता है वो मेरी यादों में आये
वो चाहता है वो मेरे सपनों में बस जाए,
मगर मेरे दिल के उन दर्दों का क्या
जो उसके साथ लम्हें बिताकर मैंने पाए।


5.
बहुत दर्द दे दिए तूने ए जिंदगी
अब मुझे मेरे हिसाब से जीने दे,
कि खुशियाँ रास नहीं आती
अब मुझे गम के प्याले पीने दे।


6.
ख़ामोशी है लबों पर और
आँखों में बहता पानी है,
दर्द मिले हैं जो जीवन में
बस उनकी यही कहानी है।


7.
उसकी यादों के साए धुंधले हो चुके हैं
जागे थे जो वो जज्बात सो चुके हैं,
मिट गए उसके दिए अब दर्द सारे
खुशनुमा जिंदगी में इस कदर खो चुके हैं।


8.
इन फिजाओं में अब भी तेरी याद घुलती है
तो न जाने क्यों मेरा दम सा घुटता है,
दर्द-ए-दिल बढ़ जाता है कुछ पल के लिए
और जिंदगी का हर लम्हा सुबकता है।
(सुबकता – रोता )


9.
दे दे हर दर्द मुझे लेकिन बेवफा का इल्जाम मत देना
दूर जाकर मेरी जिंदगी से मुझे ये जिंदगी इनाम मत देना,
बहुत लम्बी राह है इस उम्र के सफ़र की
खो जाऊं कहीं राहों में कभी कोई ऐसा जाम मत देना।


10.
दर्द बाँट गए मुझे तुम खैरात की तरह
बिखर गया हूँ मैं बिखरे जज़्बात की तरह,
उजाला कहीं दूर चला गया है मेरी जिंदगी से
बन चुका हूँ मैं अब अमावस्या की रात की तरह।


11.
बुरे वक़्त की आँधियों में
तुमने जो दर्द की बारिशें की हैं,
नफरत हो गयी अपनी जिंदगी से मुझे
अब न कभी खुशियों की ख्वाहिशें की हैं।


12.
तेरे दिए दर्द को हम आज भी
दिल में संजोये बैठे हैं,
भूल गए हैं खुद को हम
अब तो बस तुझमें ही खोये बैठे हैं।


13.
अपनी मुस्कुराहटों में मैं अक्सर
दिल के दर्द छिपा जाता हूँ,
और लोग समझते हैं कि
खुशमिजाजी से हर लम्हा बिता जाता हूँ।


आपको यह ‘ हिन्दी शायरी दर्द ए दिल ‘ शायरी संग्रह कैसा लगा? कमेंट बॉक्स में हमें जरूर बताएं। धन्यवाद।

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16 comments

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Suresh KUMAR kharwal अप्रैल 17, 2019 - 6:44 अपराह्न

Wah sir kya khub likha h

Koi jawab nahi

Super duper h sir

hum b kabhi sayar the Lekin……..

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अप्रैल 20, 2019 - 12:02 अपराह्न

धन्यवाद सुरेश कुमार जी…

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saty अगस्त 25, 2018 - 9:45 पूर्वाह्न

kuch dhng se bnaye rahte web ko copy pest nhi kr paarahe h.. kya mtpb jo apni khamoshi dusre ko na bata paaye to

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अगस्त 25, 2018 - 11:30 पूर्वाह्न

भाई शेयर करने की ऑप्शन है नीचे। वैसे भी वो क्या दर्द जो चोरी कर के किसी को दिखाया जाए।

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Pushpa मई 18, 2018 - 3:26 अपराह्न

Bahut hi dil chunewali rachana

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh मई 18, 2018 - 3:44 अपराह्न

धन्यवाद पुष्पा जी।

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Prachi shukla दिसम्बर 11, 2017 - 9:29 अपराह्न

Heart touching……

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh दिसम्बर 12, 2017 - 3:09 अपराह्न

Thanks Prachi shukla ji….

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Alisha अक्टूबर 13, 2017 - 6:59 अपराह्न

Nice and well written with meaning ful words

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अक्टूबर 13, 2017 - 8:58 अपराह्न

Thanks Alisha ji….

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yashwant फ़रवरी 7, 2017 - 6:41 पूर्वाह्न

बहुत सुंदर रचना

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh फ़रवरी 7, 2017 - 7:13 पूर्वाह्न

धन्यवाद yashwant जी……।

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HindIndia जनवरी 11, 2017 - 1:57 अपराह्न

बहुत ही बढ़िया article है। …. Thanks for sharing this!! :) :)

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh जनवरी 11, 2017 - 3:16 अपराह्न

Dhanywad HindIndia ji.. …

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Pramod Kharkwal जनवरी 9, 2017 - 8:26 पूर्वाह्न

संदीप जी आपकी बहुत सुन्दर प्रस्तुति है।

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh जनवरी 9, 2017 - 12:20 अपराह्न

धन्यवाद Parmod Kharkwal जी….

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