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चाय पर शायरी और कुल्हड़ की चाय शायरी | Chai Par Shayari

by Sandeep Kumar Singh
10 minutes read

भारत में कहा जाता है की चाय के बिना दिन की शुरुवात नहीं होती। यहाँ मेहमानों का स्वागत बिना चाय के अधूरी है। तो फिर चाय पर शायरी तो बनती है। इसीलिए हम लेकर आये है, चाय वाली शायरी और खास कुल्हड़ की चाय शायरी।

चाय पर शायरी

चाय पर शायरी और कुल्हड़ की चाय शायरी | Chai Par Shayari

कुल्हड़ की चाय शायरी

1.
जाकर उसकी बाहों में वो
उसके रंग में खो जाती है
चाय भी अपना नाम बदल कर
कुल्हड़ वाली हो जाती है।

2.
पीकर कप में या गिलास में
कहाँ मज़ा वो आता है,
चाय को लेकर बाहों में
कुल्हड़ जो स्वाद दिलाता है।

3.
भले ही फेंक दिया जाता है
चाय पीने के बाद में,
मगर असर छोड़ ही जाता है
कुल्हड़ चाय के स्वाद में।

4.
न उस से पहले न उसके बाद किसी का होता है,
कुल्हड़ का जन्म तो बस चाय के लिए होता है।

5.
पहले जलते हैं आग में, फिर मिल पाते हैं
कुल्हड़ और चाय ही सच्चा इश्क निभाते हैं।

6.
कुछ पल कि मुलाकात
और फिर जुदा हो जाते हैं,
कुलहड़ और चाय एक दूसरे के
खुदा हो जाते हैं।

7.
धीरे-धीरे उसे अपनी बाहों में भरेगा
बाँट कर उसकी तपन,
चाय से कुल्हड़ इश्क करेगा।

8.
जलाकर अपना कलेजा
चाय को बांहों में भरता है,
कुल्हड़ जैसा इश्क़
भला कौन करता है?


Chai Lover Quotes and Shayari

1.
हम इक पल में सदियाँ जीते हैं,
जब लबों से चाय को छूते हैं।

2.
वो मज़ा कहाँ है जीने में,
जो मज़ा है चाय के पीने में।

3.
ताज़गी का एहसास रगों मे घोल रही है,
कुछ इस तरह से चाय हमारी आँखें खोल रही है।

4.
लबों से होकर वो मेरी रगों में बहा,
चाय का साथ, मेरे साथ-साथ रहा।

5.
दूध का जला भले ही
छाछ फूँक-फूँक कर पीता है,
मगर चाय का जला
गरम चाय में ही जीता है।

6.
उसके बिना मुझे जीना गँवारा नहीं ,
चाय जैसा ज़िंदगी मे कोई सहारा नहीं।

7.
गर्मी की रातें या सर्दी के दिन
या फिर सावन की बरसात हो,
ख्वाहिश बस इतनी है
कि हर पल चाय का साथ हो।

8.
मुझे अफसोस नहीं, आज जहाँ हूँ मैं,
चाय साथ है, अकेला कहाँ हूँ मैं।

9.
दुनिया का हर नशा
चैन की नींद सुलाता है,
एक चाय ही ऐसा नशा है
जो होश में लाता है।

10.
मेरे दिन की एक ताजगी भरी शुरुआत होती है
जब ये शुरुआत चाय के साथ होती है।


इश्क और चाय शायरी

1.
जब भी तनहाई में बैठे
उसकी यादों ने पुकारा किया,
किसी और ने नहीं,
हमें चाय ने सहारा दिया।

2.
फुरसत में जब कभी हम
चाय पी लेते हैं,
तेरी यादों में हम
जी भरकर जी लेते हैं।

3.
जब भी तू मेरे ख्वाबों में आती है,
आँख तभी खुलती है फिर
जब हमें चाय जगाती है।

4.
पहले चाय पर तुझसे बातें होती थीं
अब चाय संग तेरी बातें होती हैं।

5.
छोड़ना चाहता हूँ
मगर छूटती नहीं,
तेरी तलब भी मुझे
चाय जैसी है।

6.
चाय के कप से उठते हुए धुँए में,
मुझे तेरी शक्ल नजर आती है,
तेरी इन्हीं खयालो में खो कर
अक्सर मेरी चाय ठंडी हो जाती है।

7.
ऐसी एक चाय,
सबको नसीब हो.
हाथ में कप हो और
सामने महबूब हो।

8.
वो मोहब्बत अपने अंदाज में जताता है,
जब खुश होता है मेरे लिए चाय बनाता है।

9.
ये सर्दियों का मौसम कोहरे का नजारा,
चाय के दो कप, बस इन्तजार तुम्हारा।

10.
हर घूंट मे तेरी याद बसी है,
कैसे कह दूँ ये चाय बुरी है।

11.
चाय का तो हम
बस बहाना बनाते हैं,
चाय के बहाने हम
तुम से मिलने आते हैं।

12.
कुछ पल तेरे साथ
इस तरह से जी लेता हूँ,
जब भी तेरी याद आती है
मैं चाय पी लेता हूँ।

13.
चंद लम्हों में सदियाँ जीनी हैं
मुझे तेरे होंठों से लगी चाय पीनी है।

14.
काश ! मेरी ज़िंदगी में
एक दिन ऐसा भी आए,
तेरे होंठों पर मेरा नाम हो
और तेरे हाथों में मेरे लिए चाय।

15.
जिनके बिना मेरी ज़िंदगी रहती है गुमसुम
एक चाय और दूसरी तुम।


बारिश और चाय शायरी

जहन में तेरी यादें और
आँखों में नमी सी है
बरसात भी है और चाय भी है
बस एक तेरी कमी सी है।

ये बारिश का मौसम,
और तुम्हारी याद,
चलो फिर मिलते है
एक कप चाय के साथ।

कितना भी उस से दूर रहूँ
वो फिर भी दूर न जाती है,
बारिश के आते ही चाय की
तलब जाग सी जाती है।


चाय और दोस्ती शायरी

हमारी तरह ही सोचता है
हमारी तरह ही जीता है,
सच्चा दोस्त वही है
जो चाय साथ में पीता है।

चाय से शुरू हुई दोस्ती
चाय कि तरह ही ताज़ा रहती है।

अकेलेपन की कमी कुछ इस तरह से पूरी कर ली,
हमने चाय से और चाय ने हमसे दोस्ती कर ली।


शाम कि चाय पर शायरी

शाम को जब मेरे लबों को छू लेती है
चाय दिन भर की थकान मिटा देती है।

शाम होते ही जिसका इंतेजार करते हैं,
उसी चाय को से हम बेइंतहाँ प्यार करते हैं।


चाय पर शायरी फनी

कुछ इस तरह से खर्च हुई
तनख्वाह मेरी,
भारी सर्दी में चाय
बँटी हो जैसे।

उसे देख कर नियत
इस तरह मचल गई
चाय गरम थी
हमारी जीभ जल गई।

आज फिर तेरी यादों में बह गए,
चाय पी ली बिस्किट रह गए।

तुम चाय जैसी
मोहब्बत तो करो,
हम  बिस्कुट की तरह
ना डूब जाए तो कहना।

न जाने क्यों मुझे रुलाती है, मुझे तू नहीं
तेरे हाथों की चाय बहुत याद आती है।

फीकी चाय पिला कर मीठी बातें करती है,
कुछ इस तरह से वह चीनी की कमी पूरी करती है।

पढ़िए यह बेहतरीन शायरी संग्रह :-

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उम्मीद है ये चाय पर शायरी और कुल्हड़ की चाय शायरी आपको पसंद आये होंगे। चाय पे कौन सा शायरी आपको सबसे अच्छा लगा हमें जरुर बताये।

धन्यवाद।

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