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भ्रूण हत्या पर कविता – एक माँ को अजन्मी बेटी की पुकार | Female Foeticide Poem

by Sandeep Kumar Singh
6 minutes read

भ्रूण हत्या पर कविता क्यों:- भ्रूण हत्या एक ऐसा अभिशाप जिससे भारत बुरी तरह ग्रस्त है। इसे लोगों की छोटी सोच कहें या गिरी हुयी मानसिकता। ये जो भी है एक शर्मनाक बात है। वो भारत जहाँ औरत को देवी माना जाता है। माँ और बहन को सम्मान की नजरों से देखा जाता है। उस भारत में भ्रूण हत्या जैसा कुकृत्य करना तो दूर सोचना भी एक पाप सा लगता है।

न जाने क्यों लोग उस बेटी को बोझ मानने लगते हैं जो दो घरों की जिम्मेवारियां निभाते समय भी कभी शिकायत नहीं करती और फिर भी हमारे समाज के कई लोग अपने गिरे हुए स्तर से ऊपर न उठ कर औरत की महानता को नहीं समझ पाते।

यूनिसेफ (UNICEF) की एक रिपोर्ट के अनुसार सुनियोजित लिंग भेद के कारन भारत की जनसँख्या से लगभग 5 करोड़ लड़कियां व महिलायें गायब हैं। इतना ही नहीं विश्व के अधिकतर देशों में प्रति 100 पुरुषों के पीछे 105 स्र्त्रियों का जन्म होता है वहीं भारत में 100 के पीछे 93 से कम स्त्रियाँ हैं।

सोचने वाली बात तो ये हैं की भारत के सबसे समृद्ध राज्यों में, हरियाणा (830), पंजाब (846), राजस्थान (883), गुजरात (886) और देश की राजधानी दिल्ली में ये संख्या (866) है। इससे पता चलता है कि हम और हमारी सोच कितनी महान है।

कभी सोचा है वो बेटी जो माँ की कोख में पल रही होती है। वो भी कुछ कहना चाहती है। वो भी इस दुनिया में आना चाहती है। एक बार उसकी पुकार अपने दिल से सुने शायद हालत बदल जाएँ।

आज तक बेटों ने ही माँ-बाप को घर से निकाला है,
बेटियों ने तो हमेशा ही सारे रिश्तों को संभाला है।


माँ की कोख में पल रही एक बेटी की आवाज को मैंने एक कविता ‘ भ्रूण हत्या पर कविता ‘ के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश की है। अगर अनजाने में कोई गलती हुयी हो तो क्षमाप्रार्थी हूँ।

भ्रूण हत्या पर कविता

भ्रूण हत्या पर कविता

मैं बोझ नहीं हूँ माँ मुझको, यूँ कोख में न मारो तुम,
तुम्हीं तो मेरी ताकत हो, ऐसे हिम्मत न हारो तुम,
आने दो मुझे इस दुनिया में तुम्हारा नाम मैं रोशन कर दूंगी,
तेरी हर तकलीफ को दूर कर मैं तेरा घर खुशियों से भर दूंगी,
मैं भी तो तेरा खून ही हूँ इस बात को विचारो तुम,
मैं बोझ नहीं हूँ माँ मुझको, यूँ कोख में न मारो तुम।

मुझ पर विश्वास भले न हो तुम खुद पर तो विश्वास करो
मुझे बचाने की खातिर तुम थोड़ा तो प्रयास करो,
रूखी-सूखी खाकर मैं माँ संग तेरे रह जाउंगी
बेटी होने के फर्ज मैं सारे गर्व से पूरे निभाउंगी,
इन लोगों के स्वार्थ की खातिर मेरी दुनिया न उजाड़ो तुम
मैं बोझ नहीं हूँ माँ मुझको, यूँ कोख में न मारो तुम।

न होगी जो बेटी तो ये बेटों को किस संग ब्याहेंगे
बहन न होगी तो ये भाई राखी किस से बंधवाएंगे,
नवरात्री के दिनों में इनको कन्याएं भी न मिल पाएंगी
आने वाली दुनिया कैसे अपना अस्तित्व बचाएगी?
बतलाओ ये बातें सबको सोच को इनकी सुधारो तुम
मैं बोझ नहीं हूँ माँ मुझको, यूँ कोख में न मारो तुम।

यही है देवी, माता भी यही है, बाँधा है जिसने प्यार से सबको
असल में वो नाता भी यही है
बिन नारी न सृष्टि चलेगी इस बात का तुम सब ज्ञान करो
बोझ समझकर बेटी को न बेटी का अपमान करो,
है सब का जीवन सुधारती तुम भी इसका सम्मान करो,
वक़्त है आया मुझ पर जो उस को आज संभालो तुम
मैं बोझ नहीं हूँ माँ मुझको, यूँ कोख में न मारो तुम।

इस कविता का विडियो यहाँ देखें :-

पढ़िए :- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर कविता | बेटी के महत्व पर कविता

आपको यह भ्रूण हत्या पर कविता कैसे लगी? हमें अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें। बेटी का सम्मान करें और उसे स दुनिया में आने दें। धन्यवाद।

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10 comments

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Jot kaur नवम्बर 3, 2023 - 4:07 अपराह्न

Wow..😍 what a heart ♥ touching and amazing poem ……..I recite 🎤this poem tomorrow at balika munch👧…… thank you 🥰🥰very much…..

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Jot kaur नवम्बर 3, 2023 - 4:06 अपराह्न

Wow..😍 what a heart ♥ touching and amazing poem ……..I recite 🎤this poem tomorrow at balika munch👧…… thank you 🥰🥰very much…..

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Renu panwar मार्च 16, 2023 - 1:29 अपराह्न

Its really very amazing i want to recite it during my school event

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Greena Bishnoi नवम्बर 23, 2020 - 7:13 अपराह्न

बहुत ही सुन्दर। प्लीज़ हमें बताइए कि आप अपनी कविताओं को कैसे इस प्लेटफार्म पर चढ़ाते हो हम भी अपनी कविताओं को चढ़ाना चाहते हैं।plz

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh नवम्बर 27, 2020 - 9:36 अपराह्न

नमस्कार ग्रीना जी आप अपनी रचनाएं प्रकाशित करवाने के लिए अपनी रचनाएं [email protected] पर मेल द्वारा भेजिए। धन्यवाद।

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Reeta jadaun दिसम्बर 7, 2019 - 10:02 अपराह्न

Nice poem and heart touching

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Deepak मई 4, 2018 - 8:48 पूर्वाह्न

Really a good one. :)

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh मई 5, 2018 - 7:57 पूर्वाह्न

Thanks Deepak ji.

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HindIndia फ़रवरी 27, 2017 - 2:10 अपराह्न

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति … शानदार पोस्ट …. Heart touching poem!! :) :)

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh फ़रवरी 27, 2017 - 3:11 अपराह्न

धन्यवाद HindIndia जी……

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