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भ्रष्ट नेताओं पर कविता :- चुनावी मौसम के लिए एक चुनावी कविता


भ्रष्ट नेताओं पर कविता में पढ़िए आज के नेताओं की असलियत बताती कविता। कैसे आज के नेता बस चुनावी दिनों में ही हमें देखने को मिलते हैं। आज देश में लगभग हर रोजगार प्राप्त करने के लिए किसी न किसी डिग्री या पढ़ाई की जरूरत पड़ती है। लेकिन नेतागिरी ऐसी नौकरी है जिसमें आपके पास बस पैसा और लोगों को बेवक़ूफ़ बनाने का हुनर होना चाहिए। ये जनता के चुने ऐसे नुमाइंदे होते हैं जो जनता को ही चूना लगा देते हैं। आइये पढ़ते हैं ऐसे ही भ्रष्ट नेताओं पर कविता :-

भ्रष्ट नेताओं पर कविता

भ्रष्ट नेताओं पर कविता

पांच साल में एक बार हैं,
दर्शन देने आते,
घूमे अकसर पहने खादी,
नेता हैं कहलाते।

लेकर वोट हमारी वो तो,
हमें हमेशा लूटें,
देश अमीर बनाने वाले,
सपने सारे टूटे।

झूठे देकर भाषण सारे,
चोर बने हैं राजा,
सारे बजा रहे जनता का,
बिना बैंड के बाजा।

बड़े-बड़े प्रोजेक्ट बनाते,
अपने अनपढ़ नेता,
बिना सिफारिश पढ़े लिखे को,
काम न कोई देता।

कहते कर देंगे दुश्मन के,
दांत सभी हम खट्टे,
मगर एक ही थाली के सब,
नेता चट्टे-बट्टे।

दोष लगाओ वोट कमाओ,
यही रीत अपनाते,
शोर शराबा करते-करते,
ये सरकार बनाते।

भ्रष्टाचार मिटा देंगे हम,
कहते भ्रष्टाचारी,
पैसे बिन कोई काम नहीं,
होता अब सरकारी।

कुर्सी मिलते खून हमारा,
सारा ये चूसेंगे,
पांच साल में कहीं दुबारा,
हमको ना पूछेंगे।

चिकनी चुपड़ी बातों करके
हमको हैं बहलाते
घूमे अकसर पहने खादी,
नेता हैं कहलाते।

पांच साल में एक बार हैं,
दर्शन देने आते,
घूमे अकसर पहने खादी,
नेता हैं कहलाते।

भ्रष्ट नेताओं पर कविता का विडियो यहाँ देखिये :-

भ्रष्ट नेताओं पर कविता | Bhrasht Neta Par Kavita

चुनावी मौसम की इस चुनावी कविता में अगर आपको सच्चाई नजर आती है तो अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें।

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धन्यवाद।

2 Comments

  1. ʜᴇʟʟᴏ,sʀ ɢᴏᴏᴅ ᴍᴏʀɴɪɴɢ,ᴋʏᴀ ʜᴀᴍ ᴀᴘᴋɪ ᴋᴀʙɪʏᴀ ᴋᴏ ᴄᴏᴘʏ ᴋᴀʀ sᴀᴋᴛᴀ ʜᴜ'ɴ

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