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कल्पना कीजिये उस समय की जब धरती पर बढ़ती आबादी और कम होते कुदरती संसाधनों के कारण हाहाकार मच जायेगा। कैसा होगा चारों और दृश्य ऐसी ही कल्पना को शब्दों में बयान करने का प्रयास किया है हरीश चमोली जी ने ‘ भविष्य की कल्पना पर कविता ‘ में :-
भविष्य की कल्पना पर कविता
निशा काल सागर के इस छोर बैठ
चाँद की सुंदरता को निहार रहा था,
तभी अचानक पानी पर में इक चित्र उभर आया
उसको देख मै घबराया,
कौन था वह कुछ समझ न पाया,
जब पूछा उसका नाम पता तो समझ में आया
यह तो है मेरे ही मन की छाया
जिसने था मेरा प्रतिविम्ब बनाया
था भविष्य से मेरा परिचय करवाया
जी हां मेरा ही प्रतिविम्ब
जो बता रहा था आने वाले समय के सच को
जो दिखा रहा था भविष्य के काल को
साफ़ साफ़ नजर आते जन मानस के हाल को
समाज की दिशा भ्रमित हुई चाल को
बिगड़ती टूटती हुई सभ्यताओं को
रिश्तों के बिगड़ते माहोल को,
फन फैलाये फुँकारते नाग को
चिंघाड़ती हुई चील को
गन्दगी से भरी झील को
भयावाह काल के खेल को,
शकुनी की चाल को
विभीषण के हाल को
कंस की हाहाकार को
महिषासुर के कोहराम को
ईर्ष्या और द्वेष से भरे दैत्यों को
पाप के भरे छलकते हुवे घड़े को
चीखती बिलखती द्रौपदी की चीख को,
जो दिखा रहा था काल की गति को
इस संसार की दुर्गति को
सड़ती हुई लाशों को
भूख से मरते बच्चों को,
खून से लथपथ महिसियों को
आपस में लड़ते इंसानो को
शिवजी के तांडव को
रोती हुवी बिल्लियों को
उजड़ते हुवे हिमालय को,
उफान मारते सागर को
सूखती जमीनों को
टूटती चट्टानों को
मिटटी में मिलती झूठी शानों को
अकाल पड़ते गावों को
जंगलों में लगी भीषण आग को
जहरीली हवाओ को,
जी हां मेरा ही प्रतिविम्ब
जो बता रहा था आने वाले समय का सच
ऐसा सच जो हमारी कल्पना से भी परे है।
पढ़िए :- आज के हालातों पर कविता ‘श्मशान नज़र आता है’
मेरा नाम हरीश चमोली है और मैं उत्तराखंड के टेहरी गढ़वाल जिले का रहें वाला एक छोटा सा कवि ह्रदयी व्यक्ति हूँ। बचपन से ही मुझे लिखने का शौक है और मैं अपनी सकारात्मक सोच से देश, समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जीवन के किसी पड़ाव पर कभी किसी मंच पर बोलने का मौका मिले तो ये मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी।
‘ भविष्य की कल्पना पर कविता ‘ के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे लेखक का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढने का मौका मिले।
धन्यवाद।
2 comments
बहुत सुंदर सृजन!????????
धन्यवाद रश्मि जी। ????????