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बेटी पर मार्मिक कविता :- समाज में औरतों की कम होती संख्या मानव जीवन के लिए एक बहुत बड़ी समस्या बन सकती है। सोचिये क्या एक समाज बिना औरत के आगे बढ़ सकता है? क्या ये संभव है कि कोई वंश बिना औरत के आगे बढ़ सकता है? बहन न होगी तो रक्षा रक्षा बंधन पर राखी कौन बांधेगा? एक आदमी विवाह किसके साथ करेगा? इसलिए समाज में बेटियों का होना बहुत अवशयक है।
हमारे इतिहास में जितने भी महापुरुष हुए हैं सबका जन्म एक औरत की कोख से ही हुआ है। इस तरह जीवन में बेटी का वो स्थान है जो कभी किसी बेटे का नहीं हो सकता। इसी सन्दर्भ में बेटियों के महत्त्व को समर्पित ये कवितायें ‘ बेटी पर मार्मिक कविता ‘ के अंतर्गत लिखीं गयी हैं :-
बेटी पर मार्मिक कविता
बेटी बिन अधूरा संसार
मैं तेरे घर -आँगन की शोभा
मुझसे सजता जीवन सबका,
तेरे घर की रौनक हूँ मैं
दूजे घर का मैं सम्मान कहलाती,
दो – दो घर मुझसे ही सजते
वंश को आगे मैं ही बढ़ाती।
सोचो अगर जो मैं न जन्मी
तो कैसा होगा ये जीवन ?
कहाँ से मिलेगी प्यारी बहना ?
कैसे खिलेगा नन्हा बचपन ?
कहाँ मिलेगी माँ की ममता ?
कैसे मिलेगा पत्नी का प्यार ?
जब मैं न हूंगी जीवन में तो
कैसे होगा तुम्हारा उद्धार ?
क्या खुद से जीवन पा पाओगे
बिन मेरे क्या जी पाओगे
खत्म मुझे करने से पहले
सोच लेना तुम फिर से एक बार
बिन मेरे न जीवन संभव
खत्म हो जायेगा ये संसार।
सोचो अगर जो मैं न जन्मी…….
पढ़िए :- भ्रूण हत्या पर कविता | एक माँ को अजन्मी बेटी की पुकार
मासूम बेटी की पुकार
मैं भी जीना चाहती हूँ
तेरे आँचल मे सांस लेना चाहती हूँ,
तेरी ममता की छांव मे रहना चाहती हूँ
तेरी गोद मे सोना चाहती हूँ।
मैं भी तो तेरा ही अंश हूँ,
फिर कैसे तू मुझे खुद से
अलग कर सकती है ?
तू तो माँ मेरी अपनी है
फिर क्यों….?
माना की तूने ये खुद से ना चाहा…
विवश हुई तू औरों के हाथों….
पर थोड़ी सी हिम्मत जो करती
तो शायद मैं भी जी पाती…
या फिर किया तूने ये सोच कर
कि जो कुछ सहा है तूने अब तक…..
वो सब सहना पड़े न मुझको…!
क्या बेटी होना ही कसूर है मेरा …..?
जो तू भी मुझे पराया करना चाहती है…!!
तू भी नहीं तो फिर कौन होगा मेरा अपना ?
क्यों मेरे जज्बातों को कुचल देना चाहती है ?
जीवन देने से पहले ही क्यों मार देना चाहती है ?
क्यों… मेरा कसूर क्या है ?
क्या सिर्फ एक बेटी होना ही मेरी सजा है…?
मुझको भी इस दुनिया में आने तो दो ….
कुछ करने का मौका तो दो….
जीवन की हर लड़ाई लड़ कर दिखाउंगी
खुद को साबित करके दिखाऊँगी,
मुझे एक मौका तो दो।
मैं भी जीना चाहती हूँ
तेरे आँचल मे सांस लेना चाहती हूँ,
तेरी ममता की छांव मे रहना चाहती हूँ
तेरी गोद मे सोना चाहती हूँ।
पढ़िए बेटियों को समर्पित बेहतरीन कविताएँ :-
- मनहूस या एक वरदान | एक बेटी की कहानी
- पापा की लाडली बेटीयां | बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर एक गीत
- “दहेज की आग में जलती लाज” बेटी पर कविता
लेखिका रेनू सिंघल के बारे में:
मेरा नाम रेनू सिंघल है । मैं लखनऊ मे रहती हूँ। मुझे बचपन से लिखने का शौक है । कहानियां ,कवितायें, लेख , शायरियाँ लिखती हूँ पर विवाह के बाद पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते इस शौक को आगे नही बढ़ा पायी।
अब मैं लेखन की दिशा मे कार्य करना चाहती हूँ । अपनी खुद की एक पहचान बनाना चाहती हूँ जो आप सबके के सहयोग से ही संभव है। जीवन के प्रति सकारात्मक सोच और स्पष्ट नज़रिया रखते हुए अपनी कलम के जादू से लोगों के दिलों मे जगह बनाना मेरी प्राथमिकता है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप सभी का सहयोग अवश्य मिलेगा।
बेटी पर मार्मिक कविता शीर्षक के अंतर्गत ये कवितायें आपको कैसी लगीं ? हमें अपने जवाब कमेंट बॉक्स में जरूर दें।
धन्यवाद।
10 comments
बहुत खूब लिखा है आपने ????
बहुत बेहतरीन लिखा है आपने , रेनू जी ????????
Bhut hi beautiful prom hai ,mhje bhut duk hota hai ki log beti ko kiyu payar nhi krte .most beautiful peom thanks to you
Betiyo ki kavita
Mere man ko lubhati he
Betiyo se mujhe bahut pyari he
Bahut. Hi achhi kavita ye h dill ko chhu lene valli
धन्यवाद गीताहरीशकुमारशर्मा जी।
Bahut ache likhe ho g aap I always support any sis. And any of mothers and childs so god bless u
Thanks You Very much Jakir Raja ji….
Very nice
धन्यवाद सज्जन यादव जी।