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बेटी की पुकार कविता :- क्या देखी है तुमने मेरी माँ? Beti Ki Pukar Poem In Hindi


हमारे समाज में बेटियों को वो सम्मान आज तक नहीं मिल पा रहा जो उन्हें मिलना चाहिए। इसलिए भ्रूण हत्या जैसा पाप अभी भी यहाँ व्याप्त है। और जब संयोगवश बेटी जन्म ले भी लेती है तो पापी लोग उसे ऐसे ही खुद से दूर कहीं छोड़ आते हैं। उस समय उस नन्हीं जान की क्या हालत होती है और वो क्या सोचती है आइये पढ़ते हैं इस ( Beti Ki Pukar Poem In Hindi ) ‘ बेटी की पुकार कविता ‘ में :-

बेटी की पुकार कविता

 

बेटी की पुकार कविता

बिगड़ती दशा, तरसती हैं आँखें
उत्सुकतावश देखूं माँ की राह
उमड़ते सवाल, उजड़ते  सपने
बसी है दिल में, बस एक ही चाह,
इस जग की बहुत है धूप कड़ी
नहीं है मिलती कहीं मुझको छाँव
आते-जाते हर पंछी  से पूछूं
क्या देखी है तुमने मेरी माँ?

अक्सर पूछूं, सूने कमरों से
आखिर गयी कहाँ मेरी माँ?
जवाब सुनु बड़ी बेसब्री से
जल्द ही आयेगी वह यहाँ,
कब  से राह मैं तकती हूँ
पर, तू क्यूँ नहीं आती है माँ
आते-जाते हर पंछी  से पूछूं
क्या देखी है, तुमने मेरी माँ?

बेबसी मेरी, बरसती आँखें
क्या समझेगा कोई मेरे भाव
थमी सी साँसें निकले आहें
तुझसे लिपटने का है चाव,
परवाह नहीं कोई करता है
गयी छोड़कर मुझको तू कहाँ
आते-जाते, हर पंछी  से पूछूं
क्या देखी है तुमने मेरी माँ?

छोड़ अकेला बचपन में
आखिर गयी कहाँ तू माँ?
सोच यही बस मन में रहती
करूँ विलाप मै हर लम्हा,
टूटी हर उम्मीद है मेरी
अब टूटा चुकी हूँ मैं भी माँ
आते-जाते, हर पंछी  से पूछूं
क्या देखी है तुमने मेरी माँ?

भूख से पेट है जलता मेरा
तेरा दूध नसीब न हुआ मुझे
बस कुछ दिन गुजरे इस जग में
ममता से तूने न छुआ मुझे,
तू होती तो मेरे सब होते
तेरे बिना है सब से दूरी माँ
आते- जाते हर पंछी  से पूछूं
क्या देखी है तुमने मेरी माँ?

हे ईश्वर तुम ही बतला दो
कैसी दिखती है, मेरी माँ ?
तुम ही मुझको अब ये समझादो
कैसी है उसके आंचल की छाँव?
धरती ने ओढ़ी नभ  की चादर
मैं ठण्ड में रहूँ ठिठुरती माँ
आते-जाते हर पंछी  से पूछूं
क्या देखी है तुमने मेरी माँ?

हे परमेश्वर, कर दो न्याय
माँ को भेज दो मेरे पास
इतना भी गर कर सकते नहीं
तो मुझे बुला लो अपने पास,
मेरी आँखों से अश्क हैं बहते
कोई गलती हुयी तो कर दो क्षमा
आते- जाते हर पंछी  से पूछूं
क्या देखी है तुमने मेरी माँ?

पढ़िए अप्रतिम ब्लॉग में बेटी को समर्पित यह रचनाएं :-


harish chamoliमेरा नाम हरीश चमोली है और मैं उत्तराखंड के टेहरी गढ़वाल जिले का रहें वाला एक छोटा सा कवि ह्रदयी व्यक्ति हूँ। बचपन से ही मुझे लिखने का शौक है और मैं अपनी सकारात्मक सोच से देश, समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जीवन के किसी पड़ाव पर कभी किसी मंच पर बोलने का मौका मिले तो ये मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी।

‘ बेटी की पुकार कविता ‘ के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे लेखक का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।

धन्यवाद।

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