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बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर कविता | बेटी के महत्व पर कविता

by Sandeep Kumar Singh
3 minutes read

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर कविता :- भगवान ने जब श्रृष्टि बनायीं तो श्रृष्टि को बढ़ाने और उसके पालन पोषण के लिए नारी बनायीं। इस हिसाब से एक औरत, एक बेटी, एक बहन और ऐसे ही नारी जाती से जुड़े और भी रिश्ते हैं। जो हमारे संसार को आगे बढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। नारी जाती की शुरुआत होती है बेटी से। जिसे आज कल जाने कुछ लोग श्राप क्यों मानते हैं?

अगर ऐसा है भी तो उसके भी कारण हम ही हैं। हम ही हैं जो दहेज़ के लालच में बहु को जला देते हैं। ऐसे ही कारण होते हैं जब एक परिवार ये सोचता है कि उसके घर में लड़की जनम न ले और उसे माँ की कोख में ही मारें की कोशिश करते हैं। इस बुराई को जड़ से दूर करने की जरूरत है और इसे हम ही दूर कर सकते हैं। इसी उद्देश्य को मन में रख कर मैंने इस कविता की रचना की है :- ‘ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर कविता | बेटी के महत्व पर कविता

मत मारो तुम कोख में इसको
इसे सुंदर जग में आने दो,
छोड़ो तुम अपनी सोच पुरानी
इक माँ को ख़ुशी मनाने दो,
बेटी के आने पर अब तुम
घी के दिये जलाओ,
आज ये संदेशा पूरे जग में फैलाओ
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ।

लक्ष्मी का कोई रूप कहे है
कोई कहता दुर्गा काली,
फिर क्यों न कोई चाहे घर में
इक बिटिया प्यारी-प्यारी,
धन्य ये कर दे जीवन सबका
जो तुम इस पर प्यार लुटाओ
आज ये संदेशा पूरे जग में फैलाओ
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ।

ये आकाश में गोते लगाती
यही तो कहलाती मर्दानी,
यही तो है कल्पना चावला
यही तो है झाँसी की रानी,
इनको देकर के पूरी शिक्षा
अपना कर्तव्य निभाओ,
आज ये संदेशा पूरे जग में फैलाओ
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ।

हाथों में राखी ये बांधें
घर में बहु बन आयें,
बन कर बेटी शैतानी करे
माँ बन कर ये समझायें,
इसका तुम सम्मान करो
और सबको यही सिखाओ,
आज ये संदेशा पूरे जग में फैलाओ
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ।

बिन बेटी के सोचो कि
ये दुनिया कैसी होगी,
न प्यार ही होगा माँ का
न बहनों की राखी होगी,
जिस कदम से रुक जाये दुनिया
वो कभी भी न उठाओ,
आज ये संदेशा पूरे जग में फैलाओ
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ।

बदलो ये आदत है जो
अब भी बदली जाती,
बेटे तो बाँटें दौलत सारी
बेटी है दर्द बटांती,
मत फ़र्ज़ से पीछे भागो
अपनी आवाज उठाओ,
आज ये संदेशा पूरे जग में फैलाओ
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ।

पढ़िए :- बेटी बचाओ कविता – बदल रहा ये देश ये दुनिया


( नोट :- अगर आप को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर कविता का लघु रूप चाहिए तो आप इनमे से जितने चाहे खण्डों को अलग कर सकते हैं। इसका हर खंड पूर्ण रूप से स्वतंत्र है व् एक खंड भी बोला जाए तो वह संपूर्ण है। )

आपको यह कविता ‘ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर कविता ‘ कैसी लगी? कमेंट बॉक्स में अवश्य बताएं।  

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10 comments

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Apurva अक्टूबर 17, 2021 - 9:03 अपराह्न

Very very nice ????????

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SHUBHAM SINGH जनवरी 25, 2020 - 8:36 अपराह्न

BAHUT ACHI POEM HAI

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Soniya जनवरी 9, 2019 - 6:32 अपराह्न

बहुत ही अच्छी बात आपने कही है कविता के माध्यम से

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh जनवरी 11, 2019 - 9:05 अपराह्न

धन्यवाद सोनिया जी।

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LOKANAND JAMBHULKAR अप्रैल 24, 2018 - 2:46 अपराह्न

संदीप कुमार सिंह जी ,नमस्कार
आपके द्वारा लिखित "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ " की रोचक कविता पढ़ी ,अतिसुन्दर वर्णन किये , दिल को छू गयी
यैसे ही कविता लिखते रहे मानव समाज में बहुत कुछ फर्क पढ़ेगा
बेटी को इतना पढ़ाओ ,की साले दहेज़ लोभी कुत्तोंको दहेज़ देना न पढ़े
धन्यवाद

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अप्रैल 24, 2018 - 10:46 अपराह्न

हौसलाअफजाई के लिए धन्यवाद लोकानंद जी। इसी तरह हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते रहें। धन्यवाद।

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श्री राजेश्वर धाम लाखणी अप्रैल 15, 2018 - 2:03 अपराह्न

अति सुंदर कविता है

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अप्रैल 16, 2018 - 6:08 अपराह्न

धन्यवाद श्री राजेश्वर धाम लाखणी जी।

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प्यारे पैकरा अगस्त 12, 2017 - 9:59 अपराह्न

बहुत ही सुन्दर प्यारा कविता है

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अगस्त 14, 2017 - 6:29 पूर्वाह्न

धन्यवाद प्यारे पैकरा।

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