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आप पढ़ रहे है – 5 हुनरमंद विकलांग – हुनरमंद किसी कमजोरी के गुलाम नही होते
हम जिंदगी में गिरते हैं। हम ऐसी परिस्थिति से गुजरते हैं, जिसकी हमने उम्मीद भी नहीं की होती। हम दो बार कोशिश करते है, तीन बार करते हैं और अंततः हार मान लेते हैं। क्या ये हमारी जिंदगी या मकसद का अंत है? असफलता गिरना नहीं है, असफलता गिर कर दुबारा न उठना है। असफलता दुखी होना नहीं है, असफलता दुबारा न खुश होना है।
अगर आप हुनरमंद है, और आपके पास एक मकसद है, सही दृष्टिकोण, जज्बा है और काम करने के रास्ते हैं तो आप कुछ भी कर सकते हैं। लेकिन क्या हो अगर आपको हर बार सफलता न मिले? उम्मीद मत छोड़िये आप इस दुनिया में सबसे बेहतर हैं। यहाँ पर कुछ हुनरमंद लोगो के उदहारण हैं उन लोगों के लिए जो काम न करने के लिए बहाने बनाते हैं या फिर ‘सब किस्मत का खेल है’ कह कर अपनी कमजोरियां छिपाते हैं। इसीलिए हम लेकर आये हैं उन 5 हुनरमंद विकलांग व्यक्तियों की कहानी है जीवन में अपनी मेहनत से सफल हो गए
5 हुनरमंद विकलांग – जिन्होंने कमजोरियों को जीता
१- मैट स्टट्जमैन ( Matt Stutzman )
मैट स्टट्जमैन, अमरीकी एथलीट जिनका जन्म 10 दिसम्बर 1982 को कंसास सिटी (अमेरिका ) में हुआ। वह अभी फेयरफील्ड, लोवा में रहते हैं।
वो जन्मे तो बिना हाथों के थे लेकिन बड़े सपनों और और उन्हें पूरा करने के सहस के साथ। उन्होंने अपने पैरों से सारा काम करना सीखा। उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा।
उन्होंने ने वो सब हासिल किया जो भी उन्होंने ने हासिल करना चाहा। कोई भी छेज उनका रास्ता न रोक पायी। इस समय वह अमरीकी पैरालम्पिक तीरंदाजी टीम के सदस्य हैं। 2012 में वह पैरालम्पिक तीरंदाजी में रजत पदक ( सिल्वर मैडल )जीत चुके हैं।
उनके नाम अभी सबसे ज्यादा दूरी से बिलकुल सही निशाना लगाने का रिकॉर्ड है। 2013 में उन पर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘ माई वे टू ओलंपिया’ भी बन चुकी है। वे शादीशुदा हैं और उनके तीन बच्चे हैं। वो कहते हैं कि उनके माता-पिता कहा करते थे कि असंभव बस मन की एक स्थिति है। ह्हुम उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं।
2-आइडा ह्युजिक डलेन ( Aida Husic Dahlen )
आइडा ह्युजिक डलेन, नॉर्वेजियन टेनिस खिलाड़ी, जिसका जन्म 5 अक्तूबर 1990 को बोस्निया हेर्ज़ेगोविना में हुआ। उनका जन्म बिना बाएँ हाथ व बिना बाएं पैर के हुआ था।
जब वह साढ़े छः साल की थीं उस समय उनके निवास क्षेत्र में जंग होने के कारण उनके परिवार ने उन्हें छोड़ दिया।
1997 में उन्हें क्रिस्टियनसैंड, नॉर्वे के लार्स डलेन और ऐनी टव फेनेफोस ने गोद ले लिया। गोद लिए जाने के बाद वो सब लेबनान चले गए। वहां उन्होंने अंग्रेजी सीखी और इस कारण वह इस समय अपनी भाषा नहीं बोल सकतीं। दो साल बाद वो नॉर्वे वापस आ गए।
उन्होंने फुटबॉल खेलने कि कोशिश की लेकिन इसमें उनके शरीर ने उनका साथ नहीं दिया। फिर एक मित्र कि सलाह पर आइडा ह्युजिक डलेन ने टेबल टेनिस खेलना शुरू किया और इस फैसले ने उनकी जिंदगी बदल दी। वह 13 सालों से टेबल टेनिस खेल रही हैं और 2008 में अपने पहले अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट में कांस्य पदक जीता।
3-क्रिस्टेन रैप (Christane Reppe)
क्रिस्टेन रैप, जेर्मनी के दिव्यांग तैराक, और साइकिलिस्ट का जन्म 21 अगस्त 1987 को ड्रेस्डेन में हुआ। 1992 में उनके बाएं पैर में एक ट्यूमर पाया गया। इलाज के दौरान उन्हें अपना पैर गंवाना पडा। उन्होंने तैराकी को अपना पेशा चुना।
अपने पहले सबसे बड़े मुकाबले, आईपीसी स्विमिंग वर्ल्ड चैंपियनशिप 2002 में 400 मीटर की प्रतिस्पर्धा में उन्होंने कांस्य पदक जीता। पहली बार 2004 में 7 वर्ष की आयु में समर पैरालम्पिक के लिए जेर्मनी का प्रतिनिधित्व किया।
वहां पर 100मीटर और 400मीटर कि तैराकी प्रतियोगिता में उन्होंने 2 कांस्य पदक जीते। कई पदक जीतने के बाद तैराकी छोड़ उन्होंने ने अपना पारिवारिक व्यवसाय अपना लिया। लेकिन ये उनकी मंजिल नहीं थी।
वह मुकाबला करना चाहती थीं जिसके लिए उन्होंने कई खेलों में हाथ अजमा कर अंत में हैण्डबाइकिंग को चुना। इसमें भी उन्होंने कई मैडल जीते और उनलोगों के लिए उदाहरण स्थापित किया जो अपनी असफलता के लिए बहाने बनाते हैं।
4-गिगोरिअस पोलीक्रोनाइडिस (Gigorios Polychronidis)
गिगोरिअस पोलीक्रोनाइडिस का जन्म 13 अगस्त 1981 को बतुमी, जॉर्जिया में हुआ। पैरालम्पिक बोच्चिया (Paralympic boccia ) BC3 के वर्गीकरण के अनुसार वह एक ग्रीक बोच्चिया खिलाडी हैं।
उन्हें स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (spinal muscular atrophy) की अपंगता है। उन्होंने 2012 समर पैरालम्पिक में स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने साबित किया कि मन शरीर से ज्यादा शक्तिशाली है।
5-नीको वोन ग्लासो (Niko von Glasow)
नीको वोन ग्लासो, एक ऐसे व्यक्ति जो ऊपर बताये गए सारे अद्भुत लोगों को हमारे सामने लेकर आये। उनका जन्म 1960 में कोलोग्ने, पश्चिमी जर्मनी में हुआ।
जन्म के समय से ही उनके दोनों हाथ नहीं थे लेकिन इस बात को उन्होंने कभी अपने रस्ते में रुकावट नहीं बनने दिया। उन्होंने रेनर वर्नर फासबिंडर के साथ प्रोडक्शन असिस्टेंट के तौर पर फिल्म ट्रेनिंग शुरू की। बाद में उन्होंने पेलेडियो फिल्म की स्थापना की। फिल्म कि शिक्षा प्राप्त करने के लिए न्यू यॉर्क जाने से पहले उन्होंने कई डायरेक्टरों के लिए काम किया।
उन्होंने कई डॉक्यूमेंट्री फिल्मों का निर्देशन और निर्माण किया। उन्होंने एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म उन लोगों पर बनायी जिन लोगों के बारे में हम आपको ऊपर बता चुके हैं। नीको वोन ग्लासो इस समय लंदन, कोलोग्ने और इटली के बीच अपनी पत्नी व दो बच्चों के साथ रहते हैं।
मुझे उम्मीद है कि ये लेख ” 5 हुनरमंद विकलांग ” पढ़ने के बाद आप वो सब करना चाहेंगे जो आप करना चाहते हैं। बहाने उनके लिए होते हैं जो कुछ करना न चाहते हों। अगर आप कुछ करना चाहते हैं और आपने ठान लिया है तो कोई आपको नहीं रोक सकता। सब कुछ आपके दिमाग पर निर्भर करता है। आपने इस लेख से क्या सीखा हमारे साथ जरूर साझा करें।
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धन्यवाद।